~तेरी आँखों के घम चुरा लू मैं~

19 May, 2013

तेरी आँखों के ये घम चुरा लू मैं

तू तो अपना ना हो सका

उन्हे ही अपना बना लू मैं

तेरी आँखों के ये घम चुरा लू मैं



तेरी हँसती खेलती नज़रों मे

जाने किसने ये घम भर दिए

उस श्क्स को बदुआओं से मार गिराउ मैं

आ, आज तुझे हसना सिखाउ मैं



तू खुश रहे, आबाद रहे

आ जान गवाउ मैं अगर तू कहे,

पर दिल मेरे तू मुस्कुरा

आज ऐसे नज़रें ना झुका



वक़्त तो मरहम लगा ही देगा

पर आज ज़िंदा रहने को मन नही करता

तेरी घम भरी आँखो को देख के,

अब तो मौत से भी डर नही लगता



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